अ+ अ-
|
ये किसी घर के भीतर का दृश्य है या फिर
किसी नाटक का अजूबा दृश्य
चार चेहरे दिखते हैं
चार दिशाओं में
चारों जुटे हैं संवाद में
दूर-दराज के लोगों के साथ
जिन्हें कभी देखा-सुना नहीं
अपने आसपास ही रच डाली है इन्होंने
संवादहीनता की स्थितियाँ
इस दृश्य को देखकर खौफ में हूँ मैं
हूँ बेहद विचलित
मुश्किल हो रहा सँभाल पाना
खुद को ऐसे में !
|
|